…तो फिर किस काम का जनऔषधि केंद्र

हमीरपुर। जनऔषधि केंद्र हमीरपुर में रोगियों को आपातकाल में दवाइयां मुहैया नहीं हो रही है। ऐसे में मरीजों को बाजार से दवाइयां खरीदनी पड़ रही हैं। ऐसे में क्षेत्रीय अस्पताल परिसर में खोला गया जन औषधि केंद्र शोपीस साबित हो रहा है। विभाग की ओर से निर्धारित लंबी चौड़ी सूची में से आधी दवाइयां भी उपलब्ध नहीं हैं। प्रबंधन का तर्क है कि डिमांड होगी तो दवाइयां उपलब्ध करवा दी जाएंगी।
स्थानीय लोगों में रमेश चंद, माया शर्मा, करतार चंद, पृथ्वी चंद, सुनील सोनी, राकेश सिंह, धर्म चंद, कल्याण चंद, अजमेर ठाकुर, रघुवीर सिंह आदि का कहना है कि क्षेत्रीय अस्पताल परिसर में स्थित जनऔषधि केंद्र में मरीजों को पूरी सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। आपातकाल में प्रयोग होने वाली दवाइयां रोगियों को नहीं मिल रही है। रोगियों को बाजार से दवाइयां खरीदनी पड़ रही है।
रोगियों का कहना है कि कई दवाइयां तो औषधि केंद्र में मिल रही है लेकिन कुछेक दवाइयां न मिलने से बाजार से दवाई खरीदने पर मजबूर होना पड़ रहा है। ऐसे में सरकार की योजना का लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। लोगों ने प्रदेश सरकार से मांग की कि जिलास्तर पर खोले गए जनऔषधि केंद्र में पूरी दवाइयां मुहैया करवाई जाएं जिससे लोगों को बेहत्तर सुविधाएं मुहैया हो सकें।

इन दवाइयों की है शार्टेज
जनऔषधि केंद्र हमीरपुर में जीवन रक्षक दवाइयां जैसे एट्रोपाइन, डोपामाइन, हैपराइन, स्ट्रोपटोकाइनेज, अमोक्सीक्लेब, इंजेक्शन एआरवी और टीटी आदि उपलब्ध नहीं हैं। इसके अलावा कार्डिक, अस्थमा, एंटीबॉयोटिक, बच्चों के कफ सिरप और आई ड्राप्स की दवाइयां भी जनऔषधि केंद्र में उपलब्ध नहीं हैं। कुल मिलाकर केंद्र में करीब 400 विभिन्न दवाइयों की मांग रहती है। इनमें से औषधि केंद्र में 90 से 95 के करीब दवाइयां ही उपलब्ध हैं।

क्या कहते हैं संबंधित अधिकारी
मुख्य चिकित्साधिकारी हमीरपुर डॉ. एसके सोनी का कहना है कि स्वीकृत दवाइयों को ही जनऔषधि केंद्रों में मुहैया करवाया जाता है। एसएमओ डॉ. केसी चोपड़ा का कहना है कि केंद्र संचालक के डिमांड देने पर ही स्वीकृत दवाइयाें की मांग की जाती है। बिना डिमांड के दवाइयां मुहैया नहीं करवाई जाती हैं।

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